उधम सिंह सुनाम |
- रोशन सुचान
जो बन्दा पैदा होते ही यतीम हो जाए / बचपन कठिनाइओं से से गुजरे / रिश्तेदार , समाज भी गले ना लगायें / वो बन्दा बाल उम्र में जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध होने वाला जलसा सुनने जलियांवाला बाग़ (अमृतसर ) जाए तथा वहां जालिम अंग्रेजी पुलिस द्वारा निहतथे लोगों पर गोलियां चलाई जाएँ , हजारों लोग आँखों के सामने मौत के घाट उतार दिए जाएँ / और गोलियां चलाने का हुकम देने वाला काफ़िर गोरा डरके सात समुंदर पार अपने देश भाग जाय / तो देश के आत्मसम्मान पर लगा दाग मिटाने और उस गोरे की मेम को रंडी करने के लिए बंदा ना सिर्फ काफ़िर के देश पहुँच जाय , बल्कि उसे मारने के लिए मोके की तलाश में 21 साल तक होटलों पे बर्तन मांजता रहे / और 21 साल बाद मोका मिलने पर इन्कलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए सारी गोलियां उसके भेजे में उतारते हूए बोले कि याद करो 21 साल पहले का वो दिन .......याद करो .... / गोरे कहें की भाग जा बच जायगा / तो बोले मैं कोई चोर नहीं , इंकलाबी हूँ और पूछने पर अपना नाम राम मुहम्मद सिंह आज़ाद बताते हुए बोले कि हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई सभी कि तरफ से बदला ले लिया है / वो बंदा फांसी पर झूला किसके लिए ??? हम सभी के लिए , आज़ादी के लिए और आज़ादी के बाद एक ऐसा समाज बनाने के लिए जहां भूख , गरीबी, भ्रस्टाचार , बरोजगारी ना हो / शोषण ना हो / सभी के लिए न्याय हो / पर सोचो कि क्या उनके सपनो का समाज हम बना पाए हैं ???? नहीं ना / सोचो ! भारत माँ चोरों कि जकड़ में है ,रो रही है कुरला रही है / काले अंग्रेज उसकी इज्जत को शरेआम नीलाम कर रहे हैं , बेच रहे हैं , वो एकेली है , उसे बचाने वाले राजगुरु , सुखदेव, भगत , उधम , आज़ाद तो आज नहीं हैं ........ पर हम तो हैं ना ! ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध आज़ादी के लिए 1857 और 1947 कि दो लड़ाइयां हमारे देशभगतों ने लड़ीं / राजगुरु , सुखदेव, भगत सिंह , उधम सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के सपनो का भारत बनाने के लिए आज़ादी कि तीसरी लड़ाइ हमें लड़नी होगी / असली आज़ादी कि लड़ाइ ! जो भूख , गरीबी , बरोजगारी , भ्रस्टाचार , अन्याए और शोषण का अंत कर देगी / सदा सदा के लिए ..................... इन्कलाब जिंदाबाद ! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद !!
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