मई 04, 2011

हम असली इन्सान की तरह जियेंगे -- कार्ल मार्क्स

मार्क्स द्वारा लिखित कविता .....

कठिनाइयों से रीता जीवन

मेरे लिए नहीं,

नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं


मुझे तो चाहिए एक महान ऊँचा लक्ष्य

और, उसके लिए उम्रभर संघर्षों का अटूट क्रम


ओ कला ! तू खोल

मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार

मेरे लिए खोल !

अपनी प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में

अखिल विश्व को बाँध लूँगा मैं !

आओ,

हम बीहड़ और कठिन सुदूर यात्रा पर चलें

आओ, क्योंकि-

छिछला, निरुद्देश्य और लक्ष्यहीन जीवन

हमें स्वीकार नहीं !

हम, उंघते, कलम घिसते हुए

उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे


हम–आकांक्षा, आक्रोश, आवेग और

अभिमान में जियेंगे !

असली इन्सान की तरह जियेंगे


--कार्ल मार्क्स

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

www.kranti4peple.com

aapko likhney ke liyey aamantrit karta hai.