भारत के साधू, महात्मा और बाबे बड़े ही शक्तिशाली हैं | अपने यहाँ साधुओं , फकीरों के अड्डे और अखाड़े , दरगाह इतियादी की संख्या मे पिछले कुछ समय से बेहिसाब वृद्धि हुई है | दुनिया के सबसे अनोखे देव बाबे भारतवर्ष के कुछ गली कूचों में बिराजे हुए हैं, भक्त समाज अपने दिमाग की खिड़कियाँ बंदकर उनकी भक्ति में लीन सा हो गया लगता है | भारतीयों की उदारता का भी कोई जवाब नहीं है। वे प्रत्येक असंभव बात पर आँख बंदकर विश्वास कर लेते हैं यदि उसमें ईश्वर की महिमा मौजूद हो। बिना कोई काम किये महात्मा जी यहाँ सुपर अय्याशी भरी जिन्दगी जीते हैं | लोगों को मोह- माया त्यागने का उपदेश देने वाले ये महात्मा खुद हजारों करोड़ की अकूत संपत्ति के मालिक होते है | कोई भी नए माडल की कार जब बाज़ार में आती है तो सबसे पहले इन बाबों के पास पहुंचती है | बाबाओं के भक्त करोड़ों में होने के कारण सियासतदान भी खुल्लम - खुल्ला इनके दरों पे आकर माथा रगड़ते हैं | दरअसल असली ताकत तो संतों के पास वोटों की है , जिनके सहारे राजनेता इनकी ओर आकर्षित होते हैं | अपने भगतों का ये बाबे पूंजीवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करवाते हैं | इस प्रकार बाबे और राजनेता मिलकर जनता का शोषण करते हैं | इन बाबों के जाएज़- नजाएज़ कामों की भी राजनेता न सिर्फ हिमायत करते हैं , बल्कि उन्हें सुरक्षा भी उपलब्ध करवाते हैं | देश के तमाम गुंडे , बदमाश , बलात्कारीयों के इलावा इन बाबाओं -धर्मगुरुओं के पास भी ज़ेड प्लस सुरक्षा है | दरअसल संत और संतों के ये डेरे लोगों के पिछड़ेपन और अंधविश्वास का फायदा उठाकर करोड़ों का कारोबार चला रहे हैं | जितने ज्यादा डेरे के पैरोकार , उतना ही बड़ा धंधा | दूसरे टी.वी. ने इनकी शक्ति को भी कई गुना बढ़ा दिया है | ये धार्मिक डेरे सामाजिक कार्य भी करते हैं , जिसकी आड़ में ये अपना काला धंधा चलाते हैं | कितने ही नित्यानंद , आशुतोष , डेरा सच्चा सौदा वाले , चंद्रास्वामी , आसाराम बापूयों पर हत्या , बलात्कार ,ठगी के सैंकड़ों मामले चल रहे हैं और सीबीआई तक इनकी जांच कर रही है | आखिरकार बाबा बनना बहुत ही आसान है , साधू-फकीर बनने के लिए किसी डिग्री -डिप्लोमा की जरूरत तो पड़ती नहीं | भगवा -हरा कपडा डाल लो , हाथ में कमंडल और मोरपंख घुमाते रहो , नहीं तो इसकी भी क्या जरूरत ! सीधे नगन होकर घुमो , दूसरों की मेहनत पर खाओ और जीओ | साधू, फकीर , मोलवी का रूप धारण कर देश का स्वयंभू मार्गदर्शक बन जाओ ......
अब सत्य साईं बाबा जी के जीवन को ही लें , जो ये कहकर गए हैं की उनका उत्तराधिकारी कर्नाटक के मंडिया ज़िले में प्रेमा साईं के रूप में जन्म लेगा | दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों में शुमार भारतीय अध्यात्मिक गुरु साईं बाबा के निवास स्थान यजुर्वेद मंदिर के कपाट खोले जाने से अकूत धन - दौलत बरामद हुई है | कमरे से 98 किलो सोना, 12 करोड़ रुपये कैश, 307 किलो चांदी और कई बेशकीमती जेवरात मिले हैं। सोने और जेवरात की कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। बाबा का धन बोरियों में भरकर लूटने की घटनाएँ भी सामने आई हैं | यही नहीं कपाट खोले जाने से पहले ही वहां से संपत्ति निकल कर अवैध तरीके से बाहर भिजवाई जा रही थी और इसमें सरकारी वाहन का उपयोग किया गया था | बाबा की संपत्ति कितनी है, इसका सही-सही अंदाजा किसी को नहीं है। समझा जाता है कि यह 40,000 करोड़ रुपए से लेकर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के बीच है। भारत में जहां एक ओर लाखों लोग गरीबी की मार झेल रहे हैं और रात में भूखे पेट सोने को मजबूर हैं तब भी साईं अवतार के रूप में मशहूर एक बाबा के पास से करोड़ो रूपए का सोना-चांदी और नकद मिलना कोई आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों में उनके द्वारा तमाम स्कूल, अस्पताल सहित कई कल्याणकारी संस्थाएं स्थापित की गईं | लेकिन साथ ही उन पर बलात्कार के आरोपों सहित लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने के भी आरोप लगाए गए थे | 1940 में 14 वर्ष की आयु में 'सत्या ’ (बाबा) ने अपने अवतार होने का उद्घोष किया था | उन्होंने कहा था कि 'मैं शिव शक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं ’ | भगवान् बाबा ने अपना घर छोड़ दिया और घोषणा की कि भक्तों की पुकार उन्हें बुला रही है और उनका मुख्य कार्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा है.| उनके दर्शन के लिए विशाल भीड़ जुटती थी.| साईं बाबा के भक्तों में देश के कई बड़े राजनेता, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों के जज, सेना के अधिकारियों के अलावा व्यापार, खेल और फ़िल्म जगत की कई बड़ी हस्तियाँ शामिल हैं | भारत और विदेश की बड़ी विभूतियां उनके पांव छूती थीं । आश्रमों और सामाजिक संगठनों का एक साम्राज्य उन्होंने बना रखा था । लेकिन खुद को सिरडी के साईं बाबा का अवतार कहने वाले पुट्टपूरथी के सत्य साईं बाबा को लेकर कई देशों की सरकारों ने भारत सरकार से ऐसे सवाल पूछे थे , जिनका जवाब देने में भारत सरकार को भी शर्म आ रही थी । लगभग 56000 करोड़ रुपये की कीमत का आध्यात्मिक साम्राज्य बनाए बैठे सत्य साईं बाबा पर ब्रिटेन, स्वीडन, जर्मनी और अमेरिका के सांसदों के कई समूहों ने आरोप लगाए थे कि वे तिकड़म और हाथ की सफाई दिखाते हैं और भक्तों को सम्मोहित करके उनका यौन शोषण करते हैं। आरोपों के अनुसार आश्रम में इस तरह की शर्मनाक गतिविधियां लंबे समय से चलती रही हैं और इनके बारे में कभी पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। आरोप सामान्य शारीरिक संबंधों के अलावा समलैंगिक गतिविधियों के भी थे और कई भक्तों का कहना है कि उन्हें मोक्ष दिलाने के बहाने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए। आरोप नये नहीं हैं लेकिन इनकी कभी जांच भी नहीं की गई। आश्रम में यौन शोषण और आर्थिक धोखा धड़ी के शिकार हुए कई लोगों की रपट जब भारत की पुलिस ने नहीं लिखी तो उन्होंने अपने उच्चायोगों और दूतावासों में शिकायत की और आखिरकार अपने देशों में जा कर शिकायत लिखवाई। इन शिकायतों का अब का एक लंबा पुलिंदा तैयार हो चुका है। मलेशिया की एक भक्त ने सीधे सत्य साईं बाबा पर आरोप लगाया है तो ब्रिटेन की एक महिला ने यहां तक कहा है कि बाबा और उनके सहयोगियों ने लंबे समय तक उसका शारीरिक शोषण किया। ज्यादातर आरोप किशोरों और युवा भक्तों द्वारा लगाए गए हैं। सच बात तो यह है कि 1970 में एक ब्रिटिश लेखक टाल ब्रोक ने सत्य साईं बाबा को सैक्स का भूखा भेड़िया करार दिया था और अब कैलिफोर्निया अमेरिका के रहने वाले ग्लेन मैनॉय ने अमेरिकी अदालत में सत्य साईं बाबा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अर्जी दी थी । अगर यह मुकदमा दायर हो जाता है तो वारंट अमेरिका से आएंगे और भारत सरकार को संधि के तहत इन्हें लागू करवाना पड़ेगा। ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद टोनी कोलमेन और भूतपूर्व ब्रिटिश मंत्री टॉम सैक्रिल ने तो यह मामला ब्रिटिश संसद में भी उठा दिया था। उन्होंने बीबीसी की एक रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश कर मांग की थी कि सत्य साईं बाबा को ब्रिटेन आने के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। यह बात अलग है कि सत्य साईं बाबा आमतौर पर अपने आश्रम से बाहर ही नहीं निकलते थे । उस के कुछ ही समय बाद चार युवा उनके प्रशांति निलयम में सुरक्षा कर्मियों के हाथों मारे गए | आश्रम के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने साईं बाबा के बेडरूम में घुस कर उन्हें मारने की कोशिश की थी. , इस घटना ने कई दूसरी अफ़वाहों को जन्म दिया लेकिन सच्चाई कभी सामने नहीं आ सकी | हैदराबाद में एक समारोह में उन्होंने हवा में हाथ लहराकर सोने की ज़ंजीर अपनी भक्तों को दिखाई लेकिन बाद में उसका वीडियो देखने से पता चला की वो ज़ंजीर उन्होंने अपनी आस्तीन से निकाली थी | इस घटना के बाद कई बुद्धिजीवियों ने साईं बाबा को चुनौती दी कि वो अपना लबादा निकाल कर और आम कपड़े पहने कर उनका सामना करें और चमत्कार दिखाए | मशहूर जादूगर पीसी सरकार ने तो उनके सामने ही उन्हीं की तरह हवा से विभूति और सोने की जंजीर निकाल कर दिखा दी थी। इसके बाद भक्तों ने सरकार को धक्के मार कर आश्रम से बाहर कर दिया था। अप्रैल 1976, को एच. नरसिंहैया, नामक एक भौतिक विज्ञानी और बंगलूर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति, ने एक समिति की अध्यक्षता की जिसमें उन्होंने सार्वजनिक रूप से बाबा को चुनौती देकर अपने चमत्कार सिद्ध करने के लिए कहा था ,नरसिंहैया समिति के इलावा ब्रिटेन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीबीसी ने भी एक वृत्तचित्र प्रसारित कर बाबा के काले कारनामों का पर्दाफाश किया था | लेकिन होना क्या था? आखिर लोग क्यूँ अंधभगत हो जाते हैं ?
अब तस्वीर का दूसरा पहलू ये है की आज शोषण -उत्पीडन करने वाली देशी- विदेशी शक्तियों के विरुद्ध पीड़ित जनता अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है | शोषक और शोषितों में विभाजित समाज में ये मठाधीश महात्मा लोगों को सिखाते हैं की ये जींवन तो पानी का बुलबुला है , भगवान् की इच्छा से ही सब कुछ होता है | इसलिए तुम भगवान् की पूजा करो तो संकट अपने आप दूर हो जायगा | शांति कायम रखो | जैसे हो उसी से संतुष्ट रहो | भगवान् की भक्ति करो | शोषक वर्ग के विरुद्ध बगावत मत करो | भगवान् पर पूरा भरोसा रखो , वह अवश्य न्याय देगा | तो इन धर्मगुरुयों द्वारा शोषितों के दिमाग की खूब धुलाई की जाती हैं | जब स्वास्थ्य , शिक्षा , नोकरी, कानून -व्योवस्था, घर-परिवार जैसी समस्यायों का कोई भरोसेमंद समाधान नहीं दिखता हो , वो बेचारा भी क्या करे ? तब परिस्थिति का मारा आदमी सुख की तलाश में देवताओं की और तो भागेगा ही ना | इस जन्म में न सही तो अगले जन्म तक की भी वेट करेगा | अब देखो हम कितना भी कहें कि यार जनता के असली मुद्दे रोज़ी , रोटी, रोज़गार हैं , महंगाई से निजात पाना है , श्रम के लुटेरे हाक्मों के विरुद्ध लड़ना है जी | पर इस रास्ते कोई शार्टकट नहीं है न | जब आवाम के असली मुद्दों पर लड़ाई की धार इतनी तेज़ हो जायगी और उन्हें लगने लगेगा की हमारी समस्यायों का कारण पिछले जन्मों के पाप की बजाए लूट पे आधारित सरमायदारी निजाम है , जिसे बदला भी जा सकता है तब वो संतों की शरण में जाने की बजाए अपनी मुक्ति के लिए लड़ेगा | इसलिए जरूरत है जनता के असली मुद्दों पर संघर्ष तेज़ करने की
- रोशन सुचान
- रोशन सुचान
नोट -आलेख से किसी की भावना को आहत करना हमारा मकसद नहीं है लेकिन आप भी जरा सोचे सही क्या गलत क्या है .........
इसे यहाँ भी पढ़ें : (तेज़ न्यूज़) http://teznews.com/home/news/3170
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2 टिप्पणियां:
खोजपूर्ण और शोधपरक लेख के लिए बधाई
रोशन भाई ने सब कुछ सोच कर लिख दिया है। अब हम क्या सोचें और क्यों सोचें।
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