अक्तूबर 30, 2010

बच्चा उसी का आगे बढेगा : जिसके माता- पिता में शिक्षा को खरीदने की ताकत होगी ??

बाजारवाद के इस युग में उसी का बच्चा आगे बढेगा जिसके माता- पिता में शिक्षा को खरीदने की ताकत होगी ?? शिक्षा संस्थाय़ें अब शिक्षा मंदिर नहीं रहीं , अब तो ये  एजूकेशनल शोप्स हैं ?? ये शिक्षकों के रेस्ट  हाउसिज हैं और शिक्षकों के घर शिक्षा की आढतें ? टयूशन नक़ल करने का बीमा और पास कराने की गारंटी  है ?? जाति और धर्म की राजनीति  करने वाले नेता हैं इनके मालिक ?
  राजनैतिक अखाड़े भी हैं और मुनाफा देने वाला व्यापार भी ? जातिवाद और सांप्रदायिकता के बीज इसी उपजाऊ भूमि में अंकुरित और पल्वित होकर सड़कों पर आते हैं .शिक्षा संस्थाएं तो ऐसे कारखाने बनने चाहीएँ थे , जहाँ बेहतर इंसान बनते ??