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राम मुहम्मद सिंह आज़ाद को याद करते हूए ............
जो बन्दा पैदा होते ही यतीम हो जाए . बचपन कठिनाइओं से गुजरे . रिश्तेदार , समाज भी गले ना लगायें . वो बन्दा बाल उम्र में जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध होने वाला जलसा सुनने जलियांवाला बाग़ जाए , वहां जालिम अंग्रेजी पुलिस द्वारा निहतथे लोगों पर गोलियां चलाई जाएँ , हजारों लोग आँखों के सामने मौत के घाट उतार दिए जाएँ . और गोलियां चलाने का हुकम देने वाला काफ़िर गोरा डरके सात समुंदर पार अपने देश भाग जाय .
तो देश के आत्मसम्मान पर लगा दाग मिटाने बंदा ना सिर्फ काफ़िर के देश पहुँच जाय , बल्कि उसे मारने के लिए मोके की तलाश में 21 साल तक होटलों पे बर्तन मांजता रहे .और 21 साल बाद मोका मिलने पर इन्कलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए सारी गोलियां उसके भेजे में उतारते हूए बोले कि याद करो 21 साल पहले का वो दिन .......याद करो .... गोरे कहें की भाग जा बच जायगा . तो बोले मैं कोई चोर नहीं , इंकलाबी हूँ और पूछने पर अपना नाम राम मुहम्मद सिंह आज़ाद बताते हुए बोले कि हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई सभी कि तरफ से बदला ले लिया है . वो बंदा फांसी पर झूल गया . किसके लिए ??? हम सभी के लिए , आज़ादी के लिए और आज़ादी के बाद एक ऐसा समाज बनाने के लिए जहां भूख , गरीबी, भ्रस्टाचार , बरोजगारी ना हो .
शोषण ना हो . सभी के लिए न्याय हो . सोचो कि क्या उनके सपनो का समाज हम बना पाए हैं ???? नहीं . काले अंग्रेजों से देश को बचाने वाले राजगुरु , सुखदेव, भगत , उधम , आज़ाद तो आज नहीं हैं ........ पर हम तो हैं ना ! आज का पूंजीवादी प्रबंध मानवविरोधी होने के कारण अपने मुनाफे के ढेर को बड़ा कर रहा है. पूंजी कुछ ही हाथों में , यहाँ तक की एक ही हाथ में चले जाने का काम कर रहा है . एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी के महज़ 2 प्रतिशत लोगों के पास कुल दौलत का 50 फीसदी है , उससे नीचे वाले 8 प्रतिशत लोगों के पास 35 प्रतिशत दौलत है , नीचे वाले 20 प्रतिशत के पास 4 प्रतिशत , उससे नीचे वाले 20 प्रतिशत के पास 3 प्रतिशत , नीचे वाले 20 प्रतिशत लोगों के पास 2 प्रतिशत दौलत है , सबसे नीचे वाले 20 प्रतिशत लोगों के पास कुल दौलत का महज़ 1 प्रतिशत है . यानी की 20 प्रतिशत आबादी के पास 89 प्रतिशत और 80 प्रतिशत के पास भीख के रूप में महज़ 11 प्रतिशत दौलत है . भारत में सिर्फ 533 अमीर लोगों के पास 1232135 करोड़ रुपयों की संपत्ति है . दूसरी तरफ गरीब दरिद्रता में जी रहा है ,
उसके पास न अपने बच्चों को पढाने के लिए पैसा है , न इलाज के लिए . नोजवानो के लिए इस प्रबंध के पास कोई रोज़गार नहीं है . उच्च शिक्षा में सुधार के नाम पर जिस तरह से खुले बाजारीकरण को बढ़ावा दिया गया है, उसके कारण आम विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का बढ़ता खर्च उठाना दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है . सो ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध आज़ादी के लिए 1857 और 1947 कि दो लड़ाइयां हमारे देशभगतों ने लड़ीं .राजगुरु , सुखदेव, भगत सिंह , उधम सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के सपनो का भारत बनाने के लिए आज़ादी कि तीसरी लड़ाइ हमें लड़नी होगी . जो भूख , गरीबी , बरोजगारी , भ्रस्टाचार , अन्याए और शोषण का अंत कर देगी . सदा सदा के लिए . देश का भविष्य अब हम नौजवानों के सहारे है . , आओ संगठित होकर लड़ें , इन्कलाब के लिए ....................
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इन्कलाब जिंदाबाद ! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद !!
- रोशन सुचान
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