किताबों मे, तुम्हारे प्यार के कुछ रंग सूखे से...
मुझे खाने को बैठे, याद के कुछ शेर भूखे से...
हैं कुछ काग़ज़ के टुकड़ों पे, लिखावट प्यार की तेरे...
तेरे चेहरे की, भोली सी बनावट हान्थ से मेरे...
मेरे इस दिल के खिलने की जो छोटी सी कहानी है....
तुम्हारे प्यार की अब बस, यही बाकी निशानी है...
तेरी आवाज़ के सुर मे, वो अधसोई हुई रातें...
थी कुछ पूरी तो कुछ आधी, जो मिश्री सी तेरी बातें....
उनीदी आँख से देखे, सुनहरे कल के जो सपने...
तेरे वो दर्द के टुकड़े, जो लगते थे कभी अपने...
वो पल बच्चे रहे लेकिन, वो यादें तो सयानी है...
तुम्हारे प्यार की अब बस, यही बाकी निशानी है...
वक़्तों के गुना भागों से, जब ना फ़र्क पड़ता था...
वो जब बन सूर्य, दिल-नभ मे तुम्हारा अक्स चढ़ता था...
वो जब कलियों से दिल की, प्यार की जुल्फें सजाता था...
मिलन की राग मे जब, इश्क़ की बंसी बजाता था...
वो यादों की खिली कलियाँ, पुनः मन मे सजानी है...
तुम्हारे प्यार की अब बस, यही बाकी निशानी है...
उलझ कर टूटती, फँसती, पतंगी डोर इस दिल की...
मेरे सपनो के महलों की, सुनहरी बंद वो खिड़की...
वो एहसासों के आँगन मे, बिखर, टूटा पड़ा ये मन...
दहकती आग भावों की, उसी मे जल रहा ये तन....
ये हान्थो मे तेरी खुशबू, जो आँसू से मिटानी है....
तुम्हारे प्यार की अब बस, यही बाकी निशानी है...
मैं तुमपे वार पाता, गर ये मेरे प्यार के मोती...
मेरी तस्वीर, हालातों की, तब कुछ और ही होती...
मैं कायर तो नही था, खून से पर लड़ ना पाया मैं...
समाजों के रिवाजों को, तमाचा जड़ ना पाया मैं...
तेरी आँखों के कुछ मोती, और इन आँखों का पानी है...
तुम्हारे प्यार की अब बस, यही बाकी निशानी है...